ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी धरती तो कभी आसमां लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी कलकल करती नदिया, तो कभी ठहरा समन्दर लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी ख़ौफ़नाक आंधी, तो कभी शीतल बयार लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी चहकी - चहकी सुब्ह, तो कभी उदास शाम लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी परिन्दे की ऊँची उड़ान, तो कभी पंख फड़फड़ाती बेजान लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी होंठो पे तिरती मुस्कान, तो कभी आँख से ढला आँसू लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी मीरा सी बैरागन, तो कभी राधा सी प्रेम दीवानी लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी कोहरे सी सर्द, तो कभी खिली सुनहरी धूप लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी नाशाद तो, कभी शादमानी लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी बच्ची सी चुलबुली, तो कभी बुज़ुर्गियत का लिबास ओढ़ लेती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी बुझा – बुझी मन, तो कभी धड़कता दिल लगती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
कभी बहकी – बहकी, तो कभी समझदार सी सधे कदम चलती है
ज़िन्दगी हर पल बदलती सी लगती है
Monday, September 14, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment