अकेलापन
अकेलापन अकेला कब होता है
यादों की भीड़ से भरा होता है
खोजो टटोलो तो मिलते हैं इसमें
ठहरे हुए पल,जो जमे रहते दिल पर
वीरानियों का एक ऊंचा पहाड
सन्नाटे का एक सघन अम्बार
इतनी जगह घेर लेते ये सब
कि नहीं आने देते महकी बयार
चाहे उपाय करे ये हज़ार
जकड लेते सन्नाटे दिल को हठात
अकेलापन अकेला कब होता है
मायूसियों से भरा होता है
उदासी हर पल साँसें लेती अपार
उजड़े वजूद को न बसने देती कभी
रात-दिन उसको रखती बेज़ार
कौन होता जहाँ में अकेले का अपना
दो चार बातें, पल भर का हास
पर कोई नहीं होता हमेशा को साथ
अकेलेपन का होता नहीं कोई सपना
सिर्फ एक मौन होता इसका अपना
अकेलापन अकेला कब होता है
बोझिल वेदना से भरा होता है